खबर सामने आ रही है कि Supreme court में एक नई चुनौती का सामना करना पड़ रहा है जो इस सप्ताह के अंत में होने वाली दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को ले कर है।
2023 के एक आदेश का हवाला देते हुए मध्य प्रदेश के एक कांग्रेस नेता ने सरकार को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को रोकने के लिए याचिका दायर की है। पिछले महीने अनूप चंद्र पांडे की सेवानिवृत्ति और अरुण गोयल के हालिया इस्तीफे के बाद चुनाव आयुक्तों के दो पद खाली हो गए। भारत का तीन सदस्यीय चुनाव आयोग अब केवल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के पास बचा है क्योंकि खबरे ये सामने आ रही है कि इस सप्ताह के अंत में राष्ट्रीय चुनावों की घोषणा होने की संभावना है।
उम्मीद है कि 15 मार्च तक उच्चाधिकार प्राप्त समिति नियुक्तियों को अंतिम रूप दे देगी। कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने अपनी याचिका में संविधान पीठ के 2023 के आदेश का हवाला दिया है जिसमें ये कहा गया है कि प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश के पैनल की सलाह पर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की जानी चाहिए।
सुश्री ठाकुर ने Supreme court से नए कानून को असंवैधानिक बताते हुए, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति 2023 के फैसले के अनुरूप ही निर्देश देने की मांग की है । उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश को नियुक्ति पैनल में शामिल करने से प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। 2023 के आदेश में, अदालत ने कहा था कि “संसद द्वारा जब तक कानून नहीं बनाया जाता” तब तक फैसला प्रभावी रहेगा।
आप को बता दें कि सरकार नें दिसंबर में मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक नया कानून लेकर आई। जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश की जगह एक केंद्रीय मंत्री सदस्य होंगे जो नियुक्तियों को अंतिम रूप देने वाले पैनल शामिल में होंगे। लेकिन विपक्षी दलों ने इस कानून का विरोध करते हुए आरोप लगाया था|
इससे पहले भी सुश्री ठाकुर की पिछली याचिका पर Supreme court ने सुनवाई करते हुए कानून पर रोक लगाने से मना कर दिया था। खबरें ये सामने आ रही है कि इस विषय पर कई लंबित मामलों की सुनवाई अब अप्रैल में होने वाली है, संभवतः उस समय जब देश में चुनाव होंगे।
Harshita/1mint
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